इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में टैक्सेशन और बचत के तरीके

आज के समय में बहुत से लोग इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में निवेश करते हैं, लेकिन टैक्सेशन को लेकर उनकी जानकारी सीमित होती है। इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में टैक्सेशन और बचत के तरीके को जाने बिना  अगर आप भी इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में निवेश कर रहे हैं, तो आपको कभी भी नुकसान हो सकता है ।टैक्स की जानकारी होना बेहद जरूरी है ताकि आप अपनी बचत को सही तरीके से मैनेज कर सकें।

सबसे पहले, यह जान लेना महत्वपूर्ण है कि इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में दो प्रकार के टैक्स लगते हैं:

  1. लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG)
  2. शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (STCG)

लेकिन इनसे पहले हमें समझना होगा कि कैपिटल गेन क्या होता है।

कैपिटल गेन क्या है?

कैपिटल गेन व रकम है जो आपने निवेश के बाद मुनाफा कमाया है। मान लीजिए कि आपने 5 लाख रुपये का निवेश इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में किया और दो साल बाद यह रकम बढ़कर 7 लाख रुपये हो जाती है। इस बढ़े हुए 2 लाख रुपये को ही कैपिटल गेन कहा जाता है।

यह बढ़ा हुआ पैसा एक साल के अंदर भी हो सकता है और एक साल के बाद भी। इसके आधार पर, आपको या तो शॉर्ट टर्म या लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स देना होगा।

शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (STCG)

जब आप 1 साल के भीतर अपना निवेश निकालते हैं, तो आपको शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स देना होगा। उदाहरण के लिए, यदि आपने 11 महीने में अपने 5 लाख रुपये को 7 लाख में बदल दिया और आप यह पैसा निकालना चाहते हैं, तो आपको 2 लाख रुपये के मुनाफे पर 20% की दर से टैक्स देना होगा, यानी 40,000 रुपये।

लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG)

जब आप अपना मुनाफा एक साल के बाद निकालते है तो उसे लांग टर्म कैपिटल गेन कहा जाता है ।2024 के बजट सुधारों के बाद अब 12.5  टैक्स देना होगा साथ ही साथ इसमे ₹1.25 लाख तक के लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स पर टैक्स नहीं लगता है।

इसे एक उदाहरण से समझते है । मान लीजिए कि आपने 13वें महीने में अपने निवेश से 7 लाख रुपये निकाले, तो आपको लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स देना होगा। LTCG टैक्स में पहले 1,00,000 रुपये के मुनाफे पर कोई टैक्स नहीं लगता। शेष 75,000 रुपये पर 12.5% की दर से टैक्स लगेगा, जो कुल 9,375 रुपये होगा।

शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म में टैक्स का फर्क

आपने देखा कि दोनों स्थितियों में पैसा निकालने के बीच का अंतर लगभग एक महीने का है, लेकिन टैक्स का अंतर 30,625 रुपये का हो गया। यह अंतर इस बात को दर्शाता है कि बिना प्लानिंग के शॉर्ट टर्म में मुनाफा निकालना नुकसानदायक हो सकता है।

टैक्स प्लानिंग और लॉन्ग टर्म निवेश का महत्व

म्यूचुअल फंड्स में निवेश करते समय यह जरूरी है कि आप लंबी अवधि के लिए निवेश करें। शॉर्ट टर्म में छोटे-छोटे मुनाफे निकालने की आदत आपको टैक्स भरते समय नुकसान पहुंचा सकती है। जब आप अपनी टैक्स रिटर्न फाइल करने जाएंगे, तो आपको एहसास होगा कि आपके छोटे मुनाफे टैक्सेशन की वजह से आपके लिए नुकसानदायक बन गए हैं।

ध्यान रखें कि 31 जनवरी 2018 से पहले के किसी भी मुनाफे पर टैक्स नहीं लगेगा। यह नियम आपकी टैक्स प्लानिंग में मददगार हो सकता है।

निष्कर्ष

इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में निवेश करने से पहले टैक्सेशन की पूरी जानकारी होना बहुत आवश्यक है। यह जानकारी आपको शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म में सही निर्णय लेने में मदद करेगी। यदि आप अपने निवेश को लंबी अवधि के लिए रखते हैं, तो टैक्स के रूप में आप अच्छा-खासा बचत कर सकते हैं। बिना सोचे-समझे मुनाफा निकालने के बजाय एक समझदार और प्लानिंग के साथ निवेश करना हमेशा फायदेमंद होता है।

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